12 Feb 2024
गुप्तकालीन मन्दिर
इस स्थान पर बने ईंटों के बने गुप्तकालीन मन्दिरों के अवशेष हैं। जो सोमवंशी के नरेशों के अभिलेखों से 8वीं सती के सिद्ध होते हैं। यह परौली और भीतर गांव के गुप्तकालीन मन्दिरों की परंपरा में है। श्री कुमारस्वामी ने भूल से इन मन्दिरों को छठी सती का मान लिया था। 1954 ईसवी के उल्लेखनं में भी यहाँ पर उत्तर गुप्तकालीन मन्दिरों के अवशेष मिले है।